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आज भारत की जनता अन्ना और बाबा में अपना नेता देखती हैं लेकिन अभी तक न अन्ना ने और न ही बाबा ने ये सुनिश्चित नही किया है की वो आगे क्या करेंगे. अगर आज बाबा और अन्ना चाहे तो देश की तकदीर बदल सकते हैं लेकिन पता नही ये लोग आगे सक्रिय राजनीती में योगदान करेंगे या नही. अगर आने वाले चुनावो में बाबा और अन्ना हर छेत्र से एक प्रत्याशी उतारे तो वो रिकॉर्ड मतों से विजयी होगा. और कांग्रेस का ये आरोप भी झूठा साबित हो जायेगा के पीछे बाबा के पीछे R R S या भाजपा है अगर बाबा या अन्ना आने वाले दिनों में सक्रिय राजनीती में हिस्सा नही लेंगे तो उनके द्वारा किये गए अनशन मात्र एक पाखंड साबित होगा हमारे बाबा या अन्ना ने सत्ता परिवर्तन की तो बात की नही थी उन्होंने तो सिर्फ व्यवस्था परिवर्तन की बात की थी. कानून परिवर्तन की बात की थी. लेकिन इन भ्रष्ट नेताओं ने तो हद ही कर दी है
आजाद भारत के गुलाम प्रधानमंत्री कहते है की हमारे पास जादू की छड़ी तो है नही लेकिन अगर तुम्हारे पास नही है तो इस्तीफा देकर बाबा को एक मौका दो वो दिखायेंगे की भ्रस्टाचार को मिटने के लिए जादू की नही ईमानदारी स्वविवेक स्वाभिमान की जरुरत होती है गुलामी की नही
हमारे P.M. जो रिमोट से चलते है उन्हें रामलीला मैदान पर प्रतिक्रिया देने के लिए २ दिन बाद नीद खुलती है . और जो मैडम रटा कर भेज देती है वो कह देते है . P.M. को शर्म आनी चाहिए की इतने महत्वपूर्ण पद पर हो कर भी गुलामी करने की हद कर दी . और यदि P.M . की पोस्ट की काबिलियत नही है तो एक बार बाबा को मौका दो वो तुम्हे ‘NAYAK’ फिल्म की तरह एक महीने में देश की दशा बदल कर के दिखा देंगे.
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