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प्रधानमंत्री कार्यालय जिस तरह से बाबा और उनके सहयोगियों की जाँच में तत्परता दिखा रही है इसी तरह की तत्परता c w g में २ g घोटालों में भी दिखाई होती तो ये नौबत ही नही आती
आज बाल्क्रिशन को नेपाली बता रहे पागलो से ये पूछा जाये की वो तो नेपाली होने पर भी भारत की सेवा क्र रहा है और ये तो भारतीय होए हुए भी एक विदेशी महिला की गुलामी कर रहे है
यदि आचार्य बालकृष्ण के कागजात फर्जी भी है तो इसमें दोष किसका है हमारे लचर कानून का दोष है जिसे बदलने के लिए ही बाबा और अन्ना लडाई कर रहे है
यदि आचार्य बालकृष्ण के कागजात फर्जी भी है तो भी जनता को इससे मतलब नही है क्यूंकि वो इसी की लडाई कर रहे है की देश से ये बुराईयाँ दूर हो जाएँ
इस विषय में प्रधानमंत्री कार्यालय ने जितनी जल्दी दिखाई है वो तारीफ के काबिल है
एक सरदार को देख कर एक इमानदार आदमी की छवि उभरती है लेकिन मनमोहन को देखकर तो एक गुलाम मानसिक रूप से गुलाम आदमी की छवि सामने आती है
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